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बिहार के बाढ़ पीड़ितों की फिक्र ‘लगता है खाना-पानी के बिना मर जाएंगे’-ग्राउंड रिपोर्ट

बिहार में बाढ़ से मरने वालों का सरकारी आंकड़ा 78 तक पहुंच गया है. करीब 66 लाख से अधिक लोग बाढ़ से प्रभावित हैं. 130 राहत शिविरों में एक लाख से अधिक लोगों ने शरण ली हुई है.
ये अपडेट बिहार आपदा प्रबंधन विभाग ने जारी किया है.

बीते तीन दिन में बाढ़ का दायरा तेज़ी से फैला है और जान-माल का नुकसान हो रहा है. बाढ़ की चपेट में रोज़ाना नए-नए इलाक़े आ रहे हैं. बाढ़ में घर छोड़ चुके कई लोग अब सामान्य जिंदगी दोबारा जीने की चिंता में घुल रहे हैं. मुश्किल से उबरने की उम्मीद बनाए रखना भी बड़ी चुनौती बन गया है.

एक तरफ का रास्ता ब्लॉक था. डिवाइडर पर लाइन से तंबू लगे थे. इनमें आसपास के गांवों के लोगों ने शरण ली हुई थी. दूसरी तरफ के रास्ते से ही वाहनों की आवाजाही हो रही थी.
शरणार्थियों में अधिकतर झंझारपुर के कन्हौली और बिदेसरस्थान गांव के लोग थे. यह इलाक़ा नरुआर पंचायत में पड़ता है. यहीं कमला बलान के पास पिछले शनिवार को चार जगहों पर तटबंध टूटे जिसके बाद तबाही मच गई.
पिछले शनिवार की रात इलाक़े में सैलाब आ गया आया. लोगों के घरों में मिनट भर के अंदर डूबने तक पानी पहुंच गया. कितने बह गए इसका अंदाजा नहीं. जो बच गए हैं वे हाइवे पर शरण लिए हुए हैं.
उनके पास बची रह गई हैं कुछ बांस-बल्लियां, थोड़े से बर्तन, धूप और बारिश से बचने के लिए प्लास्टिक की पन्नी, मवेशी और एकाध कपड़े.
हाइवे से अपने डूबे घरों को दिखाते हुए लोगों के चेहरों पर छाई उदासी बढ़ जाती है. वे शनिवार की उस काली रात को याद करने लगते हैं जब इतनी तेजी से पानी आया था कि उन्हें संभलने तक का मौका नहीं मिल पाया.
एक तंबू में बिदेसरस्थान के बुजुर्ग सुंदर यादव अपने नाती और पत्नी के साथ सड़क पर बैठे थे.
17 जुलाई को मरने वालों की संख्या 67 थी, जबकि प्रभावित लोगों की संख्या करीब 47 लाख थी. वहीं 16 जुलाई को प्रभावितों की संख्या लगभग 26 लाख और मौतों की संख्या 33 थी और 18 जुलाई को प्रभावित लोगों की संख्या करीब 55 लाख हो गई.
हैरान करने वाला तथ्य ये है कि 16 जुलाई को राहत और बचाव के लिए 125 मोटरबोटों के साथ एनडीआरएफ़/एसडीआरएफ के 796 कर्मचारियों को लगाया गया था और जब प्रभावितों की संख्या 55 लाख पहुंच गई तब भी उतने ही राहतकर्मी हैं.
16 जुलाई को 185 शिविरों में करीब एक लाख तेरह हज़ार लोग रह रहे थे, लेकिन गुरुवार तक विस्थापितों की संख्या लगभग दोगुनी बढ़ गई है और शिविरों की संख्या घटकर 130 हो गई है.
ऐसा क्यों हुआ? क्या प्रभावित लोग अब राहत शिविरों से जा रहे हैं? या फिर आ ही नहीं रहे.
बिहार सरकार के आपदा विभाग की ओर से लगाए गए राहत शिविरों की हक़ीक़त जानने के लिए हम गुरुवार को झंझारपुर से गुजरने वाले नेशनल हाईवे-27 पर पहुंचे.
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